आई वी एफ बहुत प्रकार के होते है जैसे कि
आईवीएफ सेल्फ में मरीज के अंडे और वीर्य लेकर भ्रूण तैयार करके मरीज की ही बच्चेदानी में रख दिया जाता है । इसको करने के बहुत कारण होते हैं जैसे कि ट्यूबों का बंद होना, बच्चेदानी का कमजोर होना, बच्चेदानी का छोटा होना, या फिर पुरुष में वीर्य की कमी होना।
आईवीएफ डोनर egg उसे कहा जाता है जिसमें डॉक्टर के द्वारा मरीज को अंडे बैंक से या फिर डोनर से लेकर आई वी एफ करवाने की सलाह दी जाती है। यह आईवीएफ तब किया जाता है, जब औरत की अंडेदानी में अंडों की कमी हो जाना या फिर बिल्कुल ही अंडों का खत्म हो जाना। यह समस्या आजकल बहुत ही आमतौर पर दिखाई देने लगी है इसका कारण है आजकल के रहन सहन के तरीके में परिवर्तन और लोगों का बड़ी उम्र में शादी करवाना , परिवार में मानसिक तनाव रहना या फिर पौष्टिक आहार ना लेना।
आई वी एफ विद डोनर सीमन तब किया जाता है जब किसी पुरुष में शुक्राणु की कमी होती है या फिर बिल्कुल ही शुक्राणु नहीं बनते। शुक्राणु ना बनने के भी बहुत कारण होते हैं, जैसे कि पुरुष के अंदर नाड़ीयों का बंद होना, हार्मोन की कमी के कारण शुक्राणुओं का ना बनना। दूसरे कारण है कि ज्यादा मात्रा में शराब पीना, सिगरेट पीना या फिर किसी भी तरह के नशे करना। इस तरह के मरीज के केस में शुक्राणु डोनर बैंक से या फिर मरीज की गुठलियों से लेकर आईवीएफ किया जाता है। इसे आई वी एफ विद टीसा या इक्सी भी कहा जाता है।
डीएफईटी अर्थात डोनर फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर उसे कहा जाता है जिसमें मरीज को भ्रूण डोनर बैंक से लेकर आईवीएफ करने की सलाह दी जाती है। यह आईवीएफ तब किया जाता है जब विवाहित जोड़े में अंडे और शुक्राणु दोनों की कमी हो। इस तरीके के आईवीएफ में मरीज के ब्लड ग्रुप, लंबाई, भजन, त्वचा का रंग, बालों का रंग, आंखों का रंग और भी बहुत सी चीजें मिलाकर भ्रूण डोनर बैंक से लिया जाता है। इस भ्रूण को मरीज कि बच्चेदानी में रख दिया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत ही सरल होती है।